5 Essential Elements For Shodashi

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एकान्ते योगिवृन्दैः प्रशमितकरणैः क्षुत्पिपासाविमुक्तैः

षट्कोणान्तःस्थितां वन्दे देवीं त्रिपुरसुन्दरीम् ॥६॥

A unique attribute from the temple is that souls from any religion can and do present puja to Sri Maa. Uniquely, the temple administration comprises a board of devotees from a variety of religions and cultures.

यदक्षरैकमात्रेऽपि संसिद्धे स्पर्द्धते नरः ।

पद्मरागनिभां वन्दे देवी त्रिपुरसुन्दरीम् ॥४॥

An early early morning bathtub is taken into account necessary, accompanied by adorning fresh new dresses. The puja region is sanctified and decorated with flowers and rangoli, creating a sacred space for worship.

वन्दे सर्वेश्वरीं देवीं महाश्रीसिद्धमातृकाम् ॥४॥

लक्ष्या मूलत्रिकोणे गुरुवरकरुणालेशतः कामपीठे

दृश्या स्वान्ते सुधीभिर्दरदलितमहापद्मकोशेन तुल्ये ।

मुख्याभिश्चल-कुन्तलाभिरुषितं मन्वस्र-चक्रे शुभे ।

हंसोऽहंमन्त्रराज्ञी हरिहयवरदा हादिमन्त्रार्थरूपा ।

केयं कस्मात्क्व केनेति सरूपारूपभावनाम् ॥९॥

‘हे देव। जगन्नाथ। सृष्टि, स्थिति, प्रलय के स्वामी। आप परमात्मा हैं। सभी more info प्राणियों की गति हैं, आप ही सभी लोकों की गति हैं, जगत् के आधार हैं, विश्व के करण हैं, सर्वपूज्य हैं, आपके बिना मेरी कोई गति नहीं है। संसार में परम गुह्रा क्या वास्तु है?

बिभ्राणा वृन्दमम्बा विशदयतु मतिं मामकीनां महेशी ॥१२॥

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